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श्री वैदिक स्वस्ति पन्था न्यास - एक संक्षिप्त परिचय
इस न्यास की स्थापना आर्य जगत् के प्रख्यात लेखक समीक्षक एवं ओजस्वी वक्ता श्रीमद् आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक ने वैशाख कृष्णा अमावस्या वि.सं. 2059 तदनुसार 01.5.2003 को सौराष्ट्र के प्रख्यात चिन्तक व ओजस्वी वक्ता श्रीमद् आचार्य धर्मबन्धु महाराज की प्रेरणा व संरक्षण में आर्य समाज मन्दिर, भीनमाल में की। तदुपरान्त इस न्यास का कार्यालय 04.10.2004 से 31.8.2005 तक पाली मारवाड़ में एक किराये के मकान में रहा। तत्पश्चात् लगभग ढाई वर्ष इसका कार्यालय भीनमाल नगर में एक किराये के मकान में रहा। इसके पश्चात् भीनमाल से 8 किमी. तथा भागलभीम ग्राम से 3 किमी. दूर पश्चिम में पुनासा रोड पर सवा तीन बीघे भूमि क्रय करके वेद विज्ञान मन्दिर नाम से वैदिक एवं आधुनिक भौतिक विज्ञान शोध संस्थान का भवन निर्माण हुआ और स्थायी कार्यालय यहीं बनाया गया।
इस न्यास के कुल पाँच उद्देश्य हैं-
- वेद रक्षा अभियान
- गो-कृषि-पर्यावरण रक्षा अभियान
- राष्ट्र रक्षा अभियान
- समाज सुधार अभियान
- युवा चरित्र निर्माण (आर्य वीर दल) अभियान।
परन्तु अभी तक यह न्यास सर्वाधिक महत्वपूर्ण वेद रक्षा अभियान के अन्र्तगत पूज्य आचार्य श्री के नेतृत्व व निर्देशन में गम्भीर शोध कर रहा है। हमारा मत है कि वेद के यथार्थ विज्ञान के प्रकाशित होने से अन्य सभी समस्याओं का समाधान स्वयं हो जायेगा क्योंकि उनका समाधान करना सरल हो जायेगा। आचार्य जी को वेद रक्षा व अनुसंधान के कार्य को प्राथमिकता देने में श्रीमान् विजयकुमार भल्ला, तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य अभियन्ता, न्यूक्लियर पॉवर कार्पोरेशन ऑफ इण्डिया लिमिटेड, मुम्बई के तथा भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुम्बई के वैज्ञानिक डॉ. जगदीशचन्द्र व्यास के आग्रह की ही विशेष भूमिका है। उन्हीं की प्रेरणा से आचार्य जी ने अपने अन्य अनेक कार्यों को सर्वथा बंद करके इसी क्षेत्र को चुना। इस कार्य के प्रारम्भिक वर्षों में मथुरा के आचार्य श्री स्वदेश जी का भी विशेष सहयोग रहा। वे कुछ वर्ष इस न्यास के सहसंरक्षक व संरक्षक भी रहे।